उत्तर प्रदेश में 24 नवंबर 2024 को संभल जामा मस्जिद पर किए गए कोर्ट-आदेशित सर्वेक्षण के दौरान हिंसा भड़क उठी। इस विवाद की जड़ें एक याचिका में हैं, जिसमें दावा किया गया कि मस्जिद की भूमि पर पहले एक हरिहर मंदिर स्थित था, जिसे कथित तौर पर मुगल काल में ध्वस्त किया गया था। स्थानीय अदालत ने इस दावे की जांच के लिए पुरातात्विक सर्वेक्षण (एएसआई) का आदेश दिया, जिससे समुदायों के बीच तनाव बढ़ा।
इस विवाद के दौरान हिंसक प्रदर्शन हुए, जिसमें चार लोगों की मौत और 20 पुलिसकर्मी घायल हुए। प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़पों ने स्थिति को और बिगाड़ दिया, जिसके चलते प्रशासन ने धारा 144 लागू की और इंटरनेट सेवाओं को निलंबित कर दिया।

ASI द्वारा किए गए सर्वेक्षण का निष्कर्ष अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है, लेकिन मस्जिद प्रबंधन समिति और स्थानीय मुस्लिम समुदाय ने इसे सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने का प्रयास बताया है। वहीं, हिंदू याचिकाकर्ता इस सर्वेक्षण को ऐतिहासिक साक्ष्यों को पुनर्स्थापित करने का प्रयास मान रहे हैं। इस विवाद के संवेदनशीलता को देखते हुए, प्रशासन ने पूरे क्षेत्र में सुरक्षा कड़ी कर दी है।
मस्जिद प्रबंधन समिति ने जिला अदालत के आदेश को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी है। उनका कहना है कि यह सर्वेक्षण “प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट, 1991” का उल्लंघन है, जो धार्मिक स्थलों की स्थिति को 15 अगस्त 1947 की स्थिति के अनुसार संरक्षित करता है। मुस्लिम पक्ष ने सर्वेक्षण को रोकने और सांप्रदायिक तनाव को कम करने की मांग की है। वहीं, हिंदू पक्ष का तर्क है कि ऐतिहासिक साक्ष्य इस विवाद को सुलझाने में मदद करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई शुक्रवार, 29 नवंबर को निर्धारित की है। न्यायालय में दोनों पक्ष अपने-अपने तर्क और साक्ष्य पेश करेंगे।
इस घटना ने राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर तीखी प्रतिक्रियाएं उत्पन्न की हैं। विपक्षी दलों ने भाजपा सरकार पर सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा देने का आरोप लगाया। समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने इसे एक राजनीतिक षड्यंत्र करार दिया है, जबकि भाजपा ने इसे ऐतिहासिक सत्य की खोज बताया है।
उत्तर प्रदेश के संभल जिले में शाही जामा मस्जिद को लेकर विवाद ने सांप्रदायिक तनाव को बढ़ा दिया है। हाल ही में मस्जिद के सर्वेक्षण के दौरान हिंसा में चार लोगों की मौत हुई और 20 पुलिसकर्मी घायल हुए। इस विवाद की जड़ एक याचिका है, जिसमें दावा किया गया कि मस्जिद की भूमि पहले हरिहर मंदिर थी।
उत्तर प्रदेश के संभल जिले में शाही जामा मस्जिद को लेकर विवाद ने सांप्रदायिक तनाव को बढ़ा दिया है। हाल ही में मस्जिद के सर्वेक्षण के दौरान हिंसा में चार लोगों की मौत हुई और 20 पुलिसकर्मी घायल हुए। इस विवाद की जड़ एक याचिका है, जिसमें दावा किया गया कि मस्जिद की भूमि पहले हरिहर मंदिर थी।
इस विवाद पर अलग-अलग राजनीतिक दलों की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। विपक्ष ने इसे ध्रुवीकरण की राजनीति करार दिया, जबकि भाजपा ने इसे ऐतिहासिक साक्ष्यों की जांच बताया है। इस मामले की सुनवाई 29 नवंबर 2024 को होनी है, जिस पर पूरे देश की नजरें टिकी हैं।