चक्रवात फेंगल का तमिलनाडु और पुडुचेरी पर प्रभाव

चक्रवात “फेंगल” वर्तमान में तमिलनाडु और पुडुचेरी के तटीय क्षेत्रों को प्रभावित कर रहा है। यह चक्रवात बंगाल की खाड़ी में बना और धीरे-धीरे तीव्र होकर एक गंभीर चक्रवाती तूफान में बदल गया। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने इसे लेकर रेड अलर्ट जारी किया है और भारी बारिश, तेज़ हवाओं और तटीय क्षेत्रों में संभावित बाढ़ की चेतावनी दी है।

फेंगल चक्रवात की उत्पत्ति एवं प्रगति

चक्रवात “फेंगल” का गठन 24 नवंबर 2024 को बंगाल की खाड़ी के दक्षिण-पूर्वी हिस्से में हुआ। कम दबाव का यह क्षेत्र धीरे-धीरे गहरे दबाव और फिर चक्रवात में बदल गया।

  1. स्थिति:
    27 नवंबर तक, यह चक्रवात तमिलनाडु के नागपट्टिनम जिले के तट से लगभग 150 किमी दूर है। यह पश्चिम-उत्तर-पश्चिम दिशा में बढ़ रहा है।
  2. गति:
    IMD ने चक्रवात की अधिकतम गति 80-90 किमी प्रति घंटा तक बढ़ने की संभावना जताई है, जो कुछ समय के लिए 100 किमी प्रति घंटा तक पहुंच सकती है।

फेंगल चक्रवात से प्रभावित क्षेत्र

चक्रवात “फेंगल” मुख्य रूप से तमिलनाडु और पुडुचेरी के तटीय जिलों को प्रभावित कर रहा है।

  • तमिलनाडु: नागपट्टिनम, मयिलादुथुराई, तिरुवरूर, कडलूर, और रामनाथपुरम जिलों में भारी बारिश और तेज़ हवाओं की संभावना है।
  • पुडुचेरी: कराईकल क्षेत्र में रेड अलर्ट जारी है।
  • अन्य राज्य: केरल और आंध्र प्रदेश में भी हल्की से मध्यम बारिश और तेज़ हवाओं की संभावना जताई गई है।

सरकार और प्रशासन की तैयारियां

राहत शिविर:
तमिलनाडु और पुडुचेरी में राहत शिविर स्थापित किए गए हैं। हजारों लोगों को तटीय इलाकों से सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है।

मत्स्य पालन पर प्रतिबंध:
सभी मछुआरों को समुद्र में न जाने की सख्त चेतावनी दी गई है। समुद्र में पहले से गए मछुआरों को वापस लौटने का आदेश दिया गया है।

शिक्षण संस्थानों की बंदी:
तमिलनाडु के प्रभावित जिलों और पुडुचेरी में स्कूल और कॉलेजों को बंद कर दिया गया है।

आपातकालीन सेवाएं:

  • राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF) की टीमें प्रभावित क्षेत्रों में तैनात हैं।
  • बिजली विभाग ने संभावित बिजली कटौती से निपटने के लिए आपातकालीन योजनाएं बनाई हैं।

मौसम विभाग की चेतावनियां

भारी बारिश:
नागपट्टिनम, मयिलादुथुराई, तिरुवरूर और कराईकल में 200 मिमी से अधिक बारिश होने की संभावना है।

तेज़ हवाएं:
चक्रवात के साथ 80-100 किमी प्रति घंटे की तेज़ हवाओं का अनुमान है।

तटीय क्षेत्रों में बाढ़:
निचले इलाकों में जलजमाव और तटीय क्षेत्रों में समुद्र का जलस्तर बढ़ने की आशंका है।

सड़क और परिवहन:
भारी बारिश के कारण सड़कों पर जलजमाव और परिवहन बाधित होने की संभावना है।

चक्रवातों के नामकरण और “फेंगल” का अर्थ

  • चक्रवात का नाम “फेंगल” बांग्लादेश ने दिया है।
  • विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) और संयुक्त राष्ट्र के एशिया-पैसिफिक समूह के सदस्यों द्वारा चक्रवातों के नाम पहले से तय किए जाते हैं।
  • “फेंगल” का अर्थ बांग्लादेशी भाषा में एक प्रकार का पक्षी है।

चक्रवात के आर्थिक और सामाजिक प्रभाव

  1. आर्थिक नुकसान:
    • फसलों, विशेष रूप से धान और नारियल के बागानों को भारी नुकसान पहुंचने की संभावना है।
    • मत्स्य उद्योग और छोटे व्यापार प्रभावित हो सकते हैं।
  2. सामाजिक प्रभाव:
    • भारी बारिश और बाढ़ के कारण हजारों लोगों को विस्थापित होना पड़ा है।
    • प्रभावित क्षेत्रों में बिजली और संचार सेवाएं बाधित हो सकती हैं।

पिछले चक्रवातों से सबक

भारत ने हाल के वर्षों में कई गंभीर चक्रवातों का सामना किया है, जैसे:

  • “फानी” (2019): इसने ओडिशा और आंध्र प्रदेश में व्यापक तबाही मचाई थी।
  • “यास” (2021): यह पश्चिम बंगाल और ओडिशा में भारी बाढ़ का कारण बना।
  • “मंदूस” (2022): तमिलनाडु में गंभीर बारिश और बाढ़ का कारण बना।

इन अनुभवों से सरकार ने अपनी तैयारियों को मजबूत किया है, जिसमें NDRF की त्वरित तैनाती और बेहतर चेतावनी प्रणाली शामिल है।

अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया

चक्रवात की स्थिति पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय भी नज़र रख रहा है।विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने भारत के तैयारियों और चक्रवात ट्रैकिंग प्रणाली की सराहना की है।

नागरिकों के लिए दिशानिर्देश

  1. तटीय क्षेत्रों में रहने वाले लोग सरकारी निर्देशों का पालन करें और सुरक्षित स्थानों पर जाएं।
  2. भारी बारिश के दौरान यात्रा करने से बचें।
  3. आवश्यक सामान जैसे दवाएं, पानी और खाने का सामान पहले से तैयार रखें।
  4. बिजली के उपकरणों से दूर रहें और घर में सुरक्षित रहें।

निष्कर्ष

चक्रवात “फेंगल” तमिलनाडु और पुडुचेरी के लिए गंभीर खतरा बना हुआ है। हालांकि, सरकार और प्रशासन ने त्वरित और प्रभावी उपाय किए हैं। प्रभावित नागरिकों को सतर्क रहने और सरकारी निर्देशों का पालन करने की आवश्यकता है। यह चक्रवात जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभावों का एक और उदाहरण है, जो हमें पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता की ओर इशारा करता है।

(संदर्भ:

India Todayps​

Hindustan Times.in/india), IMD Updates)

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