इज़राइल-लेबनान युद्धविराम प्रस्ताव

2023 के अक्टूबर से इज़राइल और लेबनान के बीच शुरू हुआ संघर्ष, विशेष रूप से हिज़बुल्लाह और इज़राइली रक्षा बलों (IDF) के बीच, लगभग 14 महीने तक चला। यह युद्ध क्षेत्रीय अस्थिरता और गंभीर मानवीय संकट का कारण बना। इस संघर्ष के दौरान हजारों नागरिकों की मृत्यु हुई और लाखों लोग विस्थापित हुए।

युद्धविराम का प्रस्ताव और प्रमुख बिंदु

26 नवंबर 2024 को, संयुक्त राज्य अमेरिका की मध्यस्थता में एक स्थायी युद्धविराम समझौता हुआ। इस प्रस्ताव के तहत निम्नलिखित प्रमुख बिंदु तय किए गए:

युद्धविराम की शर्तें:

  • इज़राइल और हिज़बुल्लाह दोनों ने सैन्य गतिविधियों को रोकने पर सहमति जताई।
  • हिज़बुल्लाह को दक्षिणी लेबनान में अपनी गतिविधियां सीमित करनी होंगी।
  • इज़राइल ने किसी भी आक्रमण के जवाब में कार्यवाही करने की स्वतंत्रता बनाए रखी।

मानवीय राहत:

  • संघर्ष क्षेत्रों में फंसे नागरिकों के लिए राहत सामग्री और चिकित्सा सुविधाओं की आपूर्ति बढ़ाई जाएगी।
  • विस्थापित लोगों को उनके घर लौटने की अनुमति दी जाएगी।

सुरक्षा तंत्र का निर्माण:

  1. लेबनान और इज़राइल के बीच एक संयुक्त सुरक्षा बल तैनात किया जाएगा।
  2. संयुक्त राष्ट्र पर्यवेक्षक स्थिति की निगरानी करेंगे।

संघर्ष के प्रमुख प्रभाव

लेबनान में संकट:

  • हिज़बुल्लाह के नियंत्रण वाले क्षेत्रों में भारी नुकसान हुआ, जिससे 1.4 मिलियन से अधिक लोग विस्थापित हुए।
  • लेबनान की अर्थव्यवस्था पहले से ही कमजोर थी, और यह संघर्ष उसे और गहराई में ले गया।

इज़राइल का प्रभाव:

  • हिज़बुल्लाह के रॉकेट हमलों से उत्तरी इज़राइल में भारी नुकसान हुआ।
  • इज़राइल ने इस संघर्ष को अपनी सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण बताया।

चुनौतियां और आलोचनाएं

स्थायित्व की अनिश्चितता:

  • इज़राइल और हिज़बुल्लाह के बीच विश्वास की कमी के कारण युद्धविराम की स्थायित्व पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
  • हिज़बुल्लाह को पुनः हथियारबंद होने से रोकने के लिए ठोस योजना की कमी है।

अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया:

  • यूरोपीय संघ और संयुक्त राष्ट्र ने इस समझौते का स्वागत किया लेकिन इसे संघर्ष के स्थायी समाधान के लिए अपर्याप्त बताया।
  • अमेरिकी मध्यस्थता को कुछ पक्षों ने पक्षपाती करार दिया।

आगे की राह

यह युद्धविराम मध्य पूर्व में स्थिरता लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन इसके दीर्घकालिक प्रभाव इस बात पर निर्भर करेंगे कि दोनों पक्ष अपने वादों का पालन कैसे करते हैं। साथ ही, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को इस क्षेत्र में मानवीय संकट को दूर करने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।

संदर्भ: Times of Israel, Reuters, WSJ

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